1 दिन निशा की सास ने खुश होते हुए निशा को बताया की विजय ने किसी करोड़पति की बेटी से शादी कर ली है और अब एक-दो दिन में उसे लेकर घर आ रहा है,,,,
यह सुनकर निशा को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ यह तो उसे पता था कि उसकी सास पैसों के लिए लालची है उसे सिर्फ पैसे चाहिए लेकिन वह नहीं जानती थी कि विजय पैसे कमाने की धुन में इतना नीचे गिर सकता है कि एक बार भी अपनी बच्चे और बीवी के बारे में नहीं सोचेगा और पैसे के लिए किसी करोड़पति की बेटी से शादी कर लेगा,,,,
यह खबर सुनने के बाद तो निशा की जैसे दुनिया ही उजड़ गई थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें कभी उसका मन करता कि वह किसी किसी कुएं में गिरकर रेल के नीचे कटकर या फांसी का फंदा लगाकर जहर खाकर अपनी जान दे दे फिर उसने सोचा कि उसके मरने जीने से किसी को क्या फर्क पड़ेगा अगर फर्क पड़ेगा तो उसके बच्चों को क्योंकि उसके बच्चों को संभालने वाला कोई नहीं होगा,,,,
यह सोचकर उसने अपने आप को संभाला उसे अपनी सांस पर गुस्सा आ रहा था जो अपने बेटे की दूसरी शादी की खबर सुनकर गुस्सा होने की बजाए यह सोच कर खुश थी कि उसके बेटे ने एक करोड़पति की बेटी से शादी की है,,,,
यह खबर सुनने के बाद तो उसकी सास का व्यवहार अपने पोते पोतियो और निशा के प्रति और भी कठोर हो गया था वह बेवजह उन्हें ताने देती रहती उन्हें सुनाया करती क्योंकि अब उसे लगने लगा था कि निशा और उसके बच्चे अब इस घर में एक तरह से बोझ है वह चाहती थी कि वे लोग कहीं निकल कर चले जाए जिससे वह अपने बेटे और नई करोड़पति बहू के साथ खुशी-खुशी रह सके,,,,
निशा ने कई बार विजय के पास फोन किया लेकिन विजय ने उसके फोन का कोई जवाब नहीं दिया तो निशा ने फिर विजय के पास फोन किया तो थक हारकर विजय ने फोन उठाया और गुस्से में बोला क्या है और क्यों बार-बार मुझे फोन कर परेशान कर रही हो,,,,
यह सुनकर निशा बोली विजय विजय माजी कह रही थी कि तुमने किसी करोड़पति की बेटी से शादी कर ली है विजय मैं जानती हूं तुम ऐसा नहीं कर सकते तुम अपने बच्चों और मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते, विजय माझी झूठ बोल रही है ना विजय बोलो ना विजय कुछ तो बोलो,,,,,
यह सुनकर विजय गुस्से में बोला निशा मां जो कह रही है वह सच कह रही है और एक बात तुम भी कान खोल कर सुन लो की मेरा तुमसे कोई वास्ता नहीं है और हां अगर तुमने इस मामले में कुछ भी दखलअंदाजी करने की कोशिश की ना तो मैं तुम्हें घर से धक्के मार कर निकाल दूंगा,,,,
यह कहकर विजय ने गुस्से में फोन काट दिया यह सुनकर निशा वहीं जमीन पर बैठ गई और अपनी किस्मत को कोसते हुए रोने लगी,,,,
तभी उसकी सास की आवाज आई कि अरे और डायन शाम को खाना नहीं बनाना क्या और बनाएगी क्या सब्जी तो है ही नहीं है जाकर बाजार से सब्जी लिया,,,,,
अपनी सास की आवाज सुनकर निशा ने अपने आंसू पहुंचे और बाजार से सब्जी लेने चली गई निशा को आज सारे रास्ते में बस विजय के बारे में सोचती रही विजय के कहे शब्द उसके दिमाग में घूमते रहे उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि विजय उसके साथ ऐसा कर सकता है,,,,
तभी अचानक पास सो रही बेटी ने पानी मांगा बेटी की आवाज सुनकर निशा अपने अतीत के ख्यालों से बाहर आई और उसने उठ कर अपनी बेटी को पानी पिला कर वापस सुला दिया और वापस लेट गई,,,,
उसकी आंखों में आंसू बह निकले फिर वह सोचने लगी कि मुझे जीना होगा अपने लिए ना सही अपने बच्चों के लिए यह सोचकर उसने अपने बच्चों को अपने सीने से चिपका लिया और रोने लग गई उसे पता ही नहीं चला कि कब उसकी आंख लग गई,,,,