तब रोमिं बोली बंद कर अपनी यह बकवास और हां तुम्हारी यह मनहूस सूरत आइंदा हमें कभी मत दिखाना इस घर में तुम्हारे लिए अब कोई जगह नहीं है,,,,,
यह सुनकर निशा गुस्से में बोली तुम कौन होती हो डायन मुझे इस घर से निकालने वाली अरे तुम तो खुद ही एक ही घटिया और बेशर्म लड़की हो तुम जैसी लड़की तो मैंने आज तक नहीं देखी जो एक शादीशुदा और बच्चे दार आदमी को अपने जाल में फंसा कर उसकी ही बीवी बन बैठी,,,,
यह सुनकर रोमी यू,,, कहते हुए गुस्से में चिल्लाती हुई फिर निशा को मारने के लिए आगे बढ़ी, लेकिन इस बार निशा ने बिना देर किए दो तमाचे रोमी के गाल पर जड़ दिए जिससे रोमी गिरते-गिरते बची,,,
निशा ने तमाचे इतनी फुर्ती से लगाए थे कि विजय और उसकी मां सिर्फ देखते ही रह गए,,,,
आज निशा के अंदर दवा सारा गुस्सा लावा बनकर बाहर निकल रहा था रोमी ने अपने आपको जैसे तैसे संभाला और निशा की तरफ बढ़ी तो निशा ने अब उसके बाल पकड़कर दूर धक्का दे दिया,,,,,,
यह देखकर विजय की मां निशा को मारने के लिए आगे बढ़ी लेकिन निशा की आंखों में गुस्सा देखकर अपनी बेइज्जती ना हो जाए इस डर से वापस उसने अपने कदम पीछे खींच लिए और निशा से भला बुरा कहने लगी,,,,,
विजय जो काफी देर से यह सब कुछ होता हुआ देख रहा था वह गुस्से में बोला बहुत हुआ निशा अब तो तुमने हद की सीमाएं पार कर दी,,,,
यह सुनकर निशा गुस्से में बोली तुम्हारे मुंह से यह सब कुछ सुनना अच्छा नहीं लगता हद की सीमा तो आपने पार की थी मैंने नहीं मिस्टर विजय चौहान,,,,,,
यह कहकर निशा अपने बच्चों को लेकर कमरे में आई और अपना सामान पैक कर अपना सामान लिए घर से बाहर जाने लगी तो विजय बोला देखो निशा तुमने जो कुछ किया है वह गलत किया है तुम अभी रोमी से माफी मांग लो सब कुछ ठीक हो जाएगा,,,,,
यह सुनकर निशा विजय की तरफ देखते हुए बोली मुझे आपसे यही उम्मीद थी यह है कहने के सिवा और आप कर भी क्या सकते हैं अब तो आप खुद ही किसी अमीर गुड़िया के हाथों की कठपुतली बन चुके हैं,,,,,,
तब विजय बोला देखो निशा यह बहस करने का समय नहीं है तुम बच्चों को लेकर कहां जाओगी और रात भी होने वाली है,,,,,
यह सुनकर निशा बोली तुम्हें इसकी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है अभी इन बच्चों की मां जिंदा है,,,,,,
यह सुनकर विजय बोला निशा यह बच्चे मेरे अपने भी है,,,,
यह सुनकर निशा गुस्से में बोली अपने थे अपने है नहीं और बच्चों की चिंता करने का हक आप बहुत पहले खो चुके हैं आपका अब मेरे बच्चों पर कोई हक नहीं है समझे आप,,,,,
यह कह कर वह घर से बाहर निकलने लगी तो विजय की मां बोली अरे बेटा जाने दो इस मनहूस को इसके जाने से हमारे घर तो घर से एक मनहूस साया ही तो दूर होगा, देखना कुछ ही दिनों में अकल ठिकाने जाएगी और हमारा क्या कहीं भी जाए या किसी कुआं कोटी में गिरे या किसी रेल की पटरी के नीचे कटकर मरे हमसे तो पीछा छूटेगा इसका,,,,,
यह सुनकर निशा गुस्से में अपनी सास की तरफ देखकर उसने घर की दहलीज पर थूक दिया और बोली मैं थूकखती हूं इस घर की दहलीज पर जहां सिर्फ इंसान के नाम पर हैवान रहते हैं यह कह कर वह अपने बच्चों का हाथ पकड़ कर घर से निकल गई,,,,,