निशा अपना ससुराल छोड़कर और अपने बच्चों को लेकर घर से आ तो गई लेकिन उसे यह चिंता सता रही थी कि आखिर में अब वह कहां जाएगी क्योंकि उसके मायके में तो कोई ऐसा था नहीं जिसके भरोसे वह वहां जाति खुद उसके मायके वालों ने ही उसके साथ कितना कुछ किया, यह सोचकर ही निशा के आंसू आ जाते और वह तिलमिला उठती,,,,
वह बच्चों को लेकर मंदिर में बैठी रही फिर उसे समझ आया कि क्यों ना मैं अपनी बुआ जी के घर चली जाऊं फिर उसने जो अपने पास थोड़ी बहुत रुपए थे उनसे टैक्सी किराए पर की और अपनी बड़ी बुआ जी के बंगले पर पहुंच गई,,,
बुआ जी की मौत के बाद बंगले के ताला लगा हुआ था और एक चौकीदार बंगले के मेन गेट पर बैठा हुआ था,,,,
चौकीदार ने निशा को पहचान लिया और बोला निशा बिटिया आप और इस वक्त,,,,
तब निशा चौकीदार से बोली काका मुझे अमेरिका भैया और भाभी से बात करनी है,,,,
यह सुनकर चौकीदार बोला बिटिया इस वक्त तो उन लोगों को टाइम नहीं होगा ऐसा करो तुम मेरे कमरे में जाकर आराम करो मैं तुम्हारे लिए खाने की व्यवस्था कर देता हूं और आज रात मेरी ड्यूटी यही गेट पर सुबह मैं तुम्हारी उनसे बात करवा दूंगा,,,,
चौकीदार की बात सुनकर निशा जी काका कहकर उसके कमरे में चली गई और वहां जाकर हाथ मुंह धो कर बाथरूम से बाहर आ गई,,,,
तब तक चौकीदार काका हाथ में कुछ खाने का सामान लेकर आए और बोले बिटिया लो खाना खा लो और खाना खा कर अंदर से गेट बंद करके बच्चों के साथ आराम से सो जाना,,,,
यह कहकर चौकीदार चले गए निशा ने अपने बच्चों को खाना खिलाया और थोड़ा बहुत कहां कर सो गई,,,
सुबह जब उसकी आंख खुली तो चौकीदार काका उसके पास आए और बोले लो बिटिया मालिक से बात कर लो,,,,
यह सुनकर निशा ने फोन ले लिया और कान पर लगाया उधर से निशा की बुआ जी के लड़के की आवाज थी वह बोला निशा तुम कब आई कैसी हो तुम और चौकीदार काका ने बताया कि तुम बच्चों को लेकर और सामान को लेकर आई हो सब कुछ ठीक तो है ना,,,,,,
यह सुनना था कि निशा तो रो पड़ी तब उसके भैया प्यार से बोले निशा पहले अपने आप को शांत करो और बताओ कि क्या बात है,,,,,
यह सुनकर निशा ने अपने आंसू पहुंचे और सारी बात अपने भैया को बता दी,,,,
यह सुनकर उसके भैया बोले तुम चिंता मत करो निशा उस क**** विजय को तो मैं सबक सिखा कर रहूंगा,,,,
यह सुनकर निशा बोली नहीं भैया अब मैं उन सब के बारे में कुछ सोचना नहीं चाहती मैं बस अब अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना चाहती हूं,,,,
यह सुनकर निशा के भैया बोले तुम चिंता मत करो ऐसा करो तुम बंगले की चाबी चौकीदार काका के पास है वह बांग्ला खोल देगा तुम आराम से वहां रहो, मैं तुम्हें हर महीने खर्चे के लिए पैसे भेज दिया करूंगा,,,,,
यह सुनकर निशा बोली नहीं भैया आपने मुझे रहने के लिए स्थान दिया यही मेरे लिए बहुत है मैं अब खुद कुछ करना चाहती हूं अपनी मेहनत से अपनी जिंदगी जीना चाहती हूं,,,,,,
यह सुनकर उसके भैया बोले अरे पगली कैसी बातें करती हो वह तुम्हारा ही घर है और तुम मेरी बहन हो और मेरे होते हुए तुम्हें काम करने की कोई जरूरत नहीं है, और मा ने अपने जाने से पहले हमसे कहीं बार कहा था कि मैं रहूं या ना रहूं लेकिन हम तुम्हारा हमेशा ख्याल रखें, जब भी तुम हमारी जरूरत होगी हम तुम्हारा खुद से भी ज्यादा ख्याल रखेंगे निशा तुम मेरी इकलौती बहन हो और मैं अपनी जान से ज्यादा तुम्हें प्यार करता हूं समझी तुम,,,,,,
यह सुनकर निशा बोली भैया आपने मुझे अपनी सगी बहन से ज्यादा प्यार किया है और अब इस घर में रहने के लिए जगह दी है यही मेरे लिए बहुत है पर भैया अब मैं अपनी मेहनत का कमा कर खाना चाहती हूं,,,,,
यह सुनकर निशा के भैया बोले जैसी तुम्हारी मर्जी पर वैसे अपना ख्याल रखना और हां बेझिझक अगर किसी चीज की कमी हो तो मुझे बता देना, तभी निशा की भाभी ने फोन ले लिया और बोली निशा तुम चिंता मत करना और हां अपना और बच्चों का ख्याल अच्छे से रखना अब ठीक है हमें भी कुछ जरूरी काम है ठीक है अपना ख्याल रखना,,,,,,
यह कहकर उन लोगों ने फोन काट दिया फिर चौकीदार काका बोले निशा बिटिया में अभी बंगले को खुलवा कर उसकी अच्छे से साफ सफाई करवा देता हूं फिर तुम उसमें आराम से रहना,,,,,
चौकीदार काका की बात सुनकर निशा ने हां मैं अपनी गर्दन हिलाई, चौकीदार काका वहां से चले गए,,,,
निशा की आंखों में आंसू भर आए कि जहां उसके सगे घरवालों उसके खुद के पति किसी ने उसका दर्द नहीं समझा था उसके बुआ के लड़के उसके भैया ने उसका दर्द समझा है, वह मन ही मन अपने भैया भाभी को दुआ देने लगी कि अगर उन लोगों ने उन्हें रहने के लिए जगह नहीं दी होती तो वह अपने बच्चों को लेकर कहां जाती,,,,
चौकीदार काका ने बंगले का ताला खुल कर उसकी अच्छे से सफाई करवा दी,,,,,
निशा ने बंगले में एक कमरे में अच्छे से अपना सामान जमाया,,,,
तब तक चौकीदार काका रसोई का कुछ जरूरी सामान लेकर आए और बोले लो बिटिया साहब ने कहा है कि तुम्हें सारा सामान उपलब्ध करवा दे,,,
यह कहकर वह सामान रखकर चला गया निशा ने नहा धोकर अपने बच्चों को नहलाया और नाश्ता बनाया नाश्ता करने के बाद उसके बच्चे तो खेलने में बिजी हो गए लेकिन निशा सोचने लगी कि अब आखिर में वह यहां आ गई है लेकिन अब वह क्या करेगी उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था,,,,