inteqam, bhag- 12 in Hindi Love Stories by Mamta Meena books and stories PDF | इंतेक़ाम - भाग 12

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इंतेक़ाम - भाग 12

वही निशा की सास तो अब बस रोमी के आगे पीछे रहती वह इस कोशिश में लगी रहती की रोमी को किसी तरह की कोई परेशानी ना हो, आखिर बह रोमी की चापलूसी करे तो और क्या करें क्योंकि रोमी साथ में ढेर सारा दहेज लाई थी और वही रोमी अपने बाप की इकलौती औलाद थी जिससे निशा की सास को यह उम्मीद थी कि उसके बाप की सारी जायदाद उसके बेटे के रहेगी, बह बात बात निशा को ताने देती,,,,

निशा को अपनी सास पर बहुत गुस्सा आ रहा था उसका मन करता कि वह अपनी सास को कुछ सुना दे लेकिन शायद यह सब कुछ बर्दाश्त करना उसकी मजबूरी थी वह ना चाहते हुए भी मजबूरी में सब कुछ बर्दाश्त कर रही थी,,,,,

आज रोमी की मुंह दिखाई थी उसकी सास ने आसपास की औरतों को बुलाया था,,,,,

अपनी सास के कहने पर निशा ने ही रोमी को दुल्हन की तरह सजा कर बाहर औरतों के बीच लॉकर बिठाया,,,, सब औरतें निशा को देखकर, रोमी को देखकर मोहल्ले की औरतें आपस में कुछ बातें करने लगी,,,, 

वहीं निशा की सास रोमी के गुणगान करती हुई नहीं थक रही थी कह रही थी मेरे विजय ने तो लाखों में एक बहु ढूंढी है पता नहीं पहले किस की बुरी नजर हमारे घर को लग गई थी जो यह डायन हमारे घर में आ गई थी वरना हमारे विजय के लिए तो रोमी से अच्छे कोई लड़की हो ही नहीं सकती,,,,,

वही मोहल्ले की औरत कानाफूसी कर रही थी कि कहां अप्सरा जैसी सब गुण संपन्न  निशा और कहां यह काली कलूटी सी घमंडी सी लड़की रोमी,,,,,

सब औरतें विजय और उसकी मां को गाली दे रही थी कि वे लोग कितना नीचे गिर सकते हैं उन्होंने एक बार भी निशा और उसके बच्चों के बारे में नहीं सोचा और वही औरतें निशा के ऊपर दया दिखा रही थी,,,,,

कुछ औरतें कह रही थी कि इन सब से तो मर जाना अच्छा है, वही कुछ और कह रही थी अरे मर तो जाए लेकिन बच्चे भी तो है उन विचारों को कौन संभालेगा दादी और पापा को तो रुपयों से मतलब है उन्हें क्या मतलब कि बच्चे कैसे हैं,,,,,,

सबकी बातें सुनकर निशा की आंखों में आंसू झलक आए वह सोचने लगी कि जहां बाहर बाले उसके बारे में इतना सोचते है वहीं उसके अपनों ने उसके बारे में एक बार भी नहीं सोचा,,,,,

तभी निशा की सास रसोई में से मिठाइयों लाकर बोली अरे सब मुंह मीठा करो मेरी बहु रोमी ने अपने हाथों से बनाई है,,,,,

सब औरतों ने कड़वा सा मुंह बनाया और ना चाहते हुए भी मिठाइयां ली,,,,

तभी रोमी गुस्से में उठ खड़ी हुई और बोली बस अब बहुत हुआ मुझसे यह सब और नहीं होगा, कपड़े इतना भारी भरकम जेवर और नहीं सयन होता,,,,

तब उसकी सास हर बढ़ाते हुए बोली अरे आज की परेशानी है बेटी उसके बाद तुम जो चाहो बह पहनना भी जैसा तुम्हारा मन करे वैसे कपड़े पहन लेना,,,,

यह सुनकर निशा को इतना तेज गुस्सा आया उसका मन किया कि  वह बाल पकड़कर अपनी सास का सिर दीवार में दे मारे और उससे पूछे कि उसने उसके साथ ऐसा क्यों किया आज जहां उसकी सौतन से कुछ भी पहन ने के बारे में कह रही है वहीं अगर गलती से निशा के सिर पर दुपट्टा थोड़ा सा भी खिसक जाता वह निशा से तानों और गालियों की बौछार कर देती और आज उसके हाथ की बनी मिठाइयों को रोमी के हाथ की मिठाई बताकर मोहल्ले की औरतों को खिला दि हद है, लेकिन वह जहर का घूंट पीकर रह गई,,,,