Inteqam - 3 in Hindi Love Stories by Mamta Meena books and stories PDF | इंतेक़ाम - भाग 3

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इंतेक़ाम - भाग 3

निशा इस उम्मीद में घर के बाहर बैठी रही कि जब उसके घरवालों का गुस्सा शांत होगा तब वे लोग उसे वापस घर में रख लेंगे,

गाव के लड़के आवारा लड़के निशा पर हर तरह की फवतीया कस रहे थे, लेकिन निशा सब कुछ सुनकर भी अनसुना कर रही थी,

तभी एक बड़ी सी गाड़ी वहा आकर रुकी उसमें से एक रोविले व्यक्तित्व की महिला बाहर निकली सब उसे हैरानी से देखने लगे,वह औरत देखने में रईस घर की लग रही थी वह चलकर निशा के पास आई थी, 

उसे देखकर निशा उसके गले लग गई और फूट-फूट कर रोने लगी और फिर वोली बड़ी बुआ आप,,,,,,

उस औरत ने लड़कों की तरफ देखा उसे गुस्से में देखकर सभी लड़के धीरे-धीरे वहां से खिसक लिए,

अब बड़ी बुआ ने प्यार से निशा के सिर पर हाथ फेरा और बोली क्या हुआ बेटा तुम घर के बाहर कैसे,,,,

यह सुनकर निशा बोली बड़ी बुआ पापा के जाने के बाद चाचा और ताऊ ने धोखे से मेरे हिस्से की जायदाद के कागजों पर मेरे साथ साइन करवा लिए मुझे घर से बाहर निकाल दिया,

उसे रोते देखकर बड़ी बुआ गुस्से से तिलमिला उठे और जोर-जोर से घर का दरवाजा  दरवाजा पीटने लगी,

निशा की चाची ने सोचा कि निशा ही दरवाजा खटखटा रही है इसलिए गाली देते हुए गुस्से में दरवाजा खोला लेकिन सामने बड़ी बुआ को देख कर उसके सास उसके गले में अटक गई थी और वह सहम गई,

निशा को लेकर बड़ी बुआ भीतर आई और जोर से चिल्लाते हुए बोली किसकी हिम्मत हुई मेरी मासूम बच्ची के साथ इतना बुरा करने की,,,,

बड़ी बुआ की आवाज सुनकर सभी घरवाले आंगन में आ गए, 

बड़ी बुआ निशा के दादा की बड़ी बहन थी वह रईस और अमीर घरआने में थी सभी लोग पीठ पीछे उसे हिटलर बुआ जी कहकर बुलाते थे किसी की भी इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह बुआ से कुछ कह सके,

बड़ी बुआ गुस्से में बोली क्या सब के सब बहरे गूंगे हो गए बताओ मुझे किसकी हिम्मत हुई मेरी मासूम बच्ची को घर से निकालने की लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया क्योंकि सब जानते थे कि बड़ी बुआ से कुछ कहना अपने लिए आफत मोल लेना है,

तब बड़ी बुआ निशा की दादी के पास गई और बोली क्या भाभी आप भी तो एक औरत है, मां है , और फिर भी दूसरे के दर्द को नहीं समझ सकती क्या, निशा बिन मां बाप की बेटी है जिस समय आप को उसे संभालना चाहिए उसे प्यार देना चाहिए उस समय तो तुमने उसे घर से निकाल दिया कैसी पत्थर दिल औरत है आप,,,,,

तब निशा की दादी गुस्से में बोली यह मेरी पोती नहीं है और ना ही मेरा इसेसे कोई रिश्ता है पहले ही जन्म लेते ही अपनी मां को खा गई और फिर मेरी बेटे की जिंदगी पर इसका काला साया छाया रहा जिससे वह अपना दूसरा घर नहीं बसा सका और अब यह मेरे बेटे को भी खा गई मनहूस कही की निशा की दादी गुस्से में बोली,,,

यह सुनकर बड़ी बुआ बोली मैं समझती हूं भाभी कि आप पर क्या बीत रही है लेकिन आप मेरी बेटी को मनहूस नहीं कह सकती आप अपने दर्द में दूसरे को कितना दर्द दे रही है आपको नहीं मालूम अरे जिस वक्त आपको मेरी फूल सी बच्ची को सीने से लगाना चाहिए था आपने उसे ठोकर देकर अपने से दूर करना चाहा,
जब मेरे भतीजे की मौत हुई तो किसी कारण बस में नहीं आ सकी लेकिन अब मैं यह सोचकर आई शायद आप लोगों को कुछ हिम्मत दे सकूं मुझे लग रहा था कि आप लोग बड़े दुख से गुजर रहे होंगे लेकिन मुझे नहीं मालूम था आपको मेरे भतीजे की मौत का दुख नहीं उसकी प्रॉपर्टी हड़पने की जल्दी थी बडी बुआ गुस्से में बोली,,,,,

लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया बड़ी बुआ ने सब को लताड़ा सबको काफी  खरी-खोटी सुनाई लेकिन किसी ने बड़ी बुआ से कुछ नहीं कहा ,

आगे बड़ी बुआ ने कहा कि पहले तो मैं एक दिन के लिए आई थी लेकिन अब मैं जब तक नहीं जाऊंगी जब तक मेरी फूल सी बच्ची के हिस्से की प्रॉपर्टी वापस उसके नाम नहीं हो जाती,,,,,

यह सुनकर सभी घरवालों के पैरों तले जमीन खिसक गई निशा की आंखों में आंसू आ गए और वह फिर रो पड़ी, तब बड़ी बुआ ने उसे गले लगा लिया और कहा नहीं बेटा अब मत रो तेरी बुआ आ गई है अब तेरे साथ कुछ नहीं गलत होगा,

बड़ी बुआ ने सब लोगों से कह कर आखिरकार वापस निशा की प्रॉपर्टी उसके नाम करवा दी, फिर बड़ी बुआ निशा से बोली बेटा मैं तुझे इन हैवान ओ के बीच नहीं छोड़ सकती इसलिए तुम मेरे साथ चलो,,,,,

यह सुनकर निशा की ताई हाथ जोड़कर बोली बड़ी बुआ जी आप निशा बिटिया को मत ले जाइए हमें हमारी गलती का एहसास है हम वादा करते हैं आज के बाद इसके साथ कुछ नहीं करेंगे,,,
हां बुआ जी हम इसे बिल्कुल भी तकलीफ नहीं होने देंगे हम शर्मिंदा हैं अपने आप पर यह कहकर निशा की चाची ने भी हाथ जोड़ दिए, दोनों की आंखों से आंसू बहने लगे,

निशा उनका यह रूप देखकर हैरान थी वह सोच रही थी कि यह सब इनका दिखावा है मैं अच्छे से जानती हूं कि यह दोनों कितनी घटिया और स्वार्थी है,,,,,

वही निशा की चाची और ताई सोच रही थी कि अगर बुआ जी निशा को अपने साथ ले गई तो वह हमने जो कुछ निशा के साथ किया है सब जानकर हमें कहीं का नहीं छोड़ेगी और साथ ही सोने का अंडा देने वाली मुर्गी निशा भी हमसे दूर चली जाएगी उसकी लाखों की प्रॉपर्टी हमसे जो छिन जाएगी,,,,,

इसलिए वह बुआ जी के सामने रोने का झूठा नाटक करने लगी लेकिन बुआ जी ने उनकी बात नहीं मानी थक हार निशा की चाची ताई के साथ बाकी के घर वाले भी निशा को छोड़ जाने के लिए बुआ जी से कहने लगे,,,

थक हारकर बुआ जी ने निशा की तरफ देखा तब निशा बोली हां बुआ जी आप जाओ मैं यही रहूंगी तो अपने पापा की यादों के सहारे जी लूंगी,,,

निशा की बात सुनकर उसकी बुआ जी ने उसके सिर पर हाथ फेरा और उसे गले लगा लिया और बोली कि अगर आज के बाद तुझे कोई परेशानी हो तो बेझिझक अपनी बुआ से कहना,,,,

फिर वह सब परिवार वालों की तरफ मुड़ कर बोली खबरदार जो किसी ने भी मेरी बच्ची के ऊपर जरा भी जुल्म ढाने की कोशिश की तो जिंदगी नरक बना दूंगी सब की,,,,,,

यह कह कर निशा की बड़ी बुआ सब से विदा लेकर अपनी ससुराल चली गई, सब घर वालों ने उसके जाने के बाद राहत की सांस ली,

सब घरवाले मन ही मन इस बात से गुस्सा थे कि निशा के हिस्से की प्रॉपर्टी वापस निशा को मिल गई वह यह भी जानते थे कि निशा किसी भी हालत में प्रॉपर्टी वापस उनके नाम नहीं करेगी वे चाहे जो कुछ भी कर ले ,अगर उन्होंने कुछ करने की सोची तो बड़ी बुआ उन्हें कहीं का नहीं छोड़ेगी ,,,,,,,

अब वे लोग निशा से कुछ नहीं कहते बड़ी बुआ भी रोज फोन करके निशा से उसका हालचाल पूछती, 

लेकिन कहते हैं ना कि कुत्ते की पूंछ को चाहे कितना भी जमीन में रख लो वह टेढ़ी की टेढ़ी ही रहेगी यही हाल निशा के परिवार वालों का था वह मन ही मन  योजना बनाने लगे की निशा के हिस्से की प्रॉपर्टी वापस अपने नाम कैसे की जाए उन्हें डर था कि कहीं बड़ी बुआ ने निशा के लिए कोई लड़का देख कर उसकी शादी करवा दी तो उनकी लाखों की प्रॉपर्टी उन लोगों से छिन जाएगी,

लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि निशा ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा क्या होने वाला था निशा के साथ यह सब कुछ जानने के लिए आगे बढ़ते रहिए ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, 

अगर आप सभी को मेरी रचना पसंद आए तो अपनी समीक्षा जरूर दें और अगर कुछ कमी महसूस हो तो अपने कीमती सुझाव देना ना भूलें जिससे मैं आगे इसमें सुधार कर सकूं,🙏🙏

अपना कीमती वक्त और मेरी रचना को प्यार देने के लिए आप सबका दिल से धन्यवाद🙏🙏🙏🙏