इस दुनिया में 2 तरह के इंसान हैं। एक अच्छे तो एक बुरे। ये कहानी ऐसे ही एक अच्छे और एक बुरे इंसान की है। इस कहानी में बुरे इंसान की दुनिया कैसे अच्छे में बदलती है और अच्छे इंसान की बुरे में। आइए आप और मैं इन दो दुनिया के बारे में जानते है और इनमें रहने वाले लोगों के बारे में भी।
मेरा रक्षक - भाग 1
1. अलग-अलग दुनियांयह दुनिया शायद सिर्फ ताकत से चलती है, और मैं इतनी ताकतवर नहीं हूं। कुछ लोग है इस ताकत का उपयोग गलत तरीके से करते हैं, उन्हें किसी की भावनाओं से कोई मतलब नहीं होता, वो बस अपनी ताकत दिखाकर अपना काम कर लेना चाहते है।वो भी ऐसा ही था। शहर का सबसे ताकतवर इंसान, हर धन संपन्न इंसान उसके आगे झुकता था। वो जो चाहे पा सकता था। उसे किसी भी बात का डर नहीं था।आंखों में ऐसी चमक जिसे देखकर कोई भी मोहित हो जाए उसपर, कद-काठी और सुंदरता ऐसी जैसे भगवान ने समय लेकर ...Read More
मेरा रक्षक - भाग 2
2. उसकी नज़रघर आई, देखा वो खाना जो ठंडा हो गया है, जो मैंने प्यार से शिवा के लिए था। फर्श पर बैठकर बस रो रही हूं "मेरा शिवा ही क्यूं भगवान, हम ही क्यूं। उस बच्चे ने क्या बिगाड़ा था तुम्हारा जो उसे इतना दर्द दे रहे हो, उसके हिस्से का दर्द मुझे दे दो, मेरे शिवा को ठीक कर दो, प्लीज...... कुछ ऐसा चमत्कार कर दो जिससे मेरे शिवा की ज़िंदगी सही हो जाए, चाहे तो मुझे सारे कष्ट दे दो। पर शिवा को ठीक कर दो।""धड़ाम"पापा ने जोर से दरवाज़ा खोला। नशे में पूरी तरह से ...Read More
मेरा रक्षक - भाग 3
3. पहली मुलाकात"मीरा, तुम आज late कैसे हो सकती हो? तुम्हें पता था ना आज donation के लिए कोई वाला है।"मेरी दोस्त रोज़ी ने आंखें दिखा के मुझसे कहा।अरे हां, ये दिन मैं कैसे भूल सकती हूं। हमारे अनाथालय के स्टाफ में सभी मुझसे और रोज़ी से उम्रदराज हैं। हर साल जब donation देने ये आदमी आता है तो मुझे और रोज़ी को बाहर आने से मना कर दिया जाता है। पर पिछली बार उसने स्टाफ के रजिस्टर में देखा कि स्टाफ से 2 लोग नहीं आते। तो उसने डायरेक्टर से बोल दिया था इस बार उसे पूरा स्टाफ ...Read More
मेरा रक्षक - भाग 4
4.एक एहसानमीरा को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। उसने जैसे ही लिफाफा खोला उसमें पांच लाख चेक था, और एक ख़त उसमें लिखा था"तुम्हारे भाई के इलाज के लिए।"मीरा को समझ नहीं आ रहा था कि रणविजय को कैसे पता उसके भाई के बारे में और अगर पता भी है तो ऐसे कैसे वो इतनी बड़ी रकम उसे दे सकता बिना किसी मतलब के। ये सब सोचकर मीरा का दिल बैठा जा रहा था, उसे रुपयों की सख़्त जरूरत थी। पर वो किसी माफिया का एहसान नहीं लेना चाहती थी। उसके दिमाग में बस एक ही ...Read More
मेरा रक्षक - भाग 5
5. अब वो अजनबी नहीं"धायं"हर जगह अफरा तफरी मच गई, मीरा कुछ समझती उससे पहले ही रणविजय ने मीरा हाथ पकड़ा और चल दिया। रणविजय की तरफ जैसे ही मीरा ने देखा उसकी चीख निकल पड़ी। रणविजय के कंधे पर गोली लगने की वजह से खून बह रहा था।"स...सर, आपके क...कंधे से खू... खू...खून....."ये कहते हुए मीरा बेहोश हो गई। मीरा जैसे ही बेहोश हुई रणविजय ने उसे थाम लिया। उसे अपनी गोद में लेकर गाड़ी की तरफ जाने लगा। वो अपना दर्द भूल चुका था। उसकी बाहों में इस समय मीरा थी उसे सिर्फ मीरा की चिंता हो ...Read More
मेरा रक्षक - भाग 6
6. कमज़ोरीमीरा ने रोज़ी को फोन लगाया।"मीरा!!!!!!! तू कहां है? तू ठीक तो है न। मैंने तुझे कितने call तू कहां है।""मैं एकदम ठीक हूं रोज़ी। तू कहां है और कैसी है।"रोज़ी ने बताया गोली चलने की वजह से एकदम अफरा तफरी मच गई थी। रोज़ी मीरा को ढूंढने उसी जगह गई थी जहां उसने मीरा को छोड़ा था। मीरा उस जगह नहीं थी। एक आदमी आया काले लिबास में, उसने कहा वो रणविजय का आदमी है और मीरा रणविजय के साथ ही है एकदम सुरक्षित। रोज़ी को घर छोड़ने की जिम्मेदारी उस आदमी की है ये कहकर उस ...Read More
मेरा रक्षक - भाग 7
7. फ़िक्र"तो आप ही हैं रणविजय की नई मेहमान। क्या नाम है आपका।""जी मीरा, आप कौन?" मीरा की इतनी सी आवाज सुनकर रूद्र मन ही मन मीरा को अपना बनाने के ख़्वाब देखने लगा।"मैं रणविजय का सबसे खास दोस्त, रूद्र..... रूद्र प्रताप सिंह " कहते हुए रूद्र ने मीरा की तरफ हाथ आगे बढ़ाया। मीरा ने भी रूद्र से हाथ मिला लिया। मीरा इस बात से बिल्कुल अंजान थी कि उसे और रूद्र को कोई बहुत गुस्से में देख रहा है।रूद्र, रणविजय को इस तरह गुस्से में देखते हुए मन ही मन बहुत खुश हो रहा था। वो मीरा ...Read More
मेरा रक्षक - भाग 8
8. सपनेमीरा को नींद नहीं आ रही थी। उसेशिवा की याद सता रही थी। उसने शिवा से फोन पर कर ली थी पर फिर भी उसे शिवा के पास जाने की इच्छा थी।मीरा अपने कमरे से उठकर, बाहर garden में चली गई। वहां ठंडी हवा उसके गालों को छू रही थी। मीरा आँखें बंद करके इन हवाओं को महसूस कर ही रही थी तभी कोई उसके पास आकर बैठ गया और उसे खबर भी नहीं थी।रणविजय मीरा को बस देखे जा रहा था। मीरा के उड़ते बाल उसे किसी जाल के जैसे लग रहे थे जिनमें वो अपनी मर्ज़ी ...Read More
मेरा रक्षक - भाग 9
9. दर्द थोड़ी देर बाद मीरा को एहसास हुआ कि रणविजय उसे गले लगकर ही सो चुका है। रणविजय ने तो बोला था उसे नींद नहीं आती। मीरा ने रणविजय को आराम से सुलाने की कोशिश की पर रणविजय ने मीरा को बहुत जोर से पकड़ रखा था जैसे एक बच्चा अपनी मां का पल्लू डर की वजह से पकड़ कर लेटा है। मीरा ने Ms. Rosy और जॉन को बुलाने के लिए दरवाजे के बाहर देखा पर दोनों वहां से जा चुके थे। अब मीरा क्या करे? रणविजय मीरा को गले लगाकर सो ...Read More
मेरा रक्षक - भाग 10
10. सुकून की नींद मीरा उसे एकटक देखती रही। वो चेहरा जिसे पूरी दुनिया ‘खौफ’ कहती थी, आज भूले हुए बच्चे सा लग रहा था — मासूम, टूटा हुआ, और बहुत थका हुआ। मीरा की पलकों पर अब नींद की परछाइयाँ उतरने लगी थीं। रात भर की थकावट, उस कमरे का सन्नाटा, और रणविजय की गर्म साँसे — सबने मिलकर उसे भी अपनी बाहों में भर लिया। उसने धीमे से अपना हाथ रणविजय के सिर पर रखा, और खुद भी उसके बगल में लेट गई। वो रणविजय को अपनी बाँहों ...Read More
मेरा रक्षक - भाग 11
कुछ तो बदल रहा हैरणविजय की नींद टूटी, लेकिन वो अपनी आँखें कुछ सेकंड तक बंद रखे रहा। उसके पर अभी भी मीरा की बाँहें थीं…उसके सीने से सटी मीरा की गर्म साँसे, उसकी गर्दन को छू रही थीं।धीरे-धीरे उसने आँखें खोलीं…हल्की-सी रौशनी पर्दे से छनकर अंदर आ रही थी, और उसकी पहली नज़र गई — मीरा पर।मीरा ठीक उसके पास थी। इतनी पास कि उसकी एक-एक साँस रणविजय की त्वचा पर उतर रही थी। उसकी लटें कुछ उलझी हुई थीं, माथे पर एक बेक़रार सी मासूमियत थी… और होंठों पर हल्की-सी शांति। उसे ये सब एक सपने जैसा ...Read More