2. उसकी नज़र
घर आई, देखा वो खाना जो ठंडा हो गया है, जो मैंने प्यार से शिवा के लिए बनाया था। फर्श पर बैठकर बस रो रही हूं "मेरा शिवा ही क्यूं भगवान, हम ही क्यूं। उस बच्चे ने क्या बिगाड़ा था तुम्हारा जो उसे इतना दर्द दे रहे हो, उसके हिस्से का दर्द मुझे दे दो, मेरे शिवा को ठीक कर दो, प्लीज...... कुछ ऐसा चमत्कार कर दो जिससे मेरे शिवा की ज़िंदगी सही हो जाए, चाहे तो मुझे सारे कष्ट दे दो। पर शिवा को ठीक कर दो।"
"धड़ाम"
पापा ने जोर से दरवाज़ा खोला। नशे में पूरी तरह से धुत्त। ठीक से चला भी नहीं जा रहा। अपने रूम में चले गए।
मीरा ने खुद को संभाला, अगर वो ही कमज़ोर पड़ जाएगी तो कैसे संभालेगी शिवा को। अपने कमरे में जाकर उसने रुपए निकलने के लिए जिस ही अलमारी खोली।
"रुपए कहां गए, मैंने तो यहीं रखे थे। अब क्या करुंगी मैं। शिवा अकेला अस्पताल में ज़िंदगी और मौत से लड़ रहा है, क्या करूं मैं अब। कहां जा सकते है मेरे रुपए"
"आपने मेरी अलमारी में से रुपए उठाए।"
"वो..... मुझे जरूरी काम के लिए चाहिए थे।"
"जरूरी काम!!!!!! ये नशा आपके लिए जरूरी काम है। वो पैसे शिवा के ऑपरेशन लिए रखे थे मैंने। क्या उससे भी ज्यादा जरूरी था आपका ये नशा करना जुआं खेलना। (मीरा को समझ नहीं आ रहा था अब वो क्या करे, वो टूट चुकी थी इस, ज़िंदगी से। वो जी रही थी सिर्फ शिवा के लिए) पापा आप ऐसे क्यों बन गए? आपको क्या लगता है आप अकेले है जिसे मां के जाने का गम है। वो हम दोनों की भी कुछ लगती थीं, हमें भी उनके जाने का गम है। पापा please ये सब छोड़ दीजिए, हम तीनों मिलकर फिर से नये सिरे से अपनी ज़िंदगी शुरू करते हैं।"
पापा कुछ नहीं बोले, बोलते भी कैसे, नशा ज्यादा करने की वजह से बेहोश हो गए थे।
"कहां से लाऊं अब मैं इतने सारे रुपए?"
ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग
"हेलो, डॉक्टर!!! कैसा है अब शिवा। "
"अब ठीक है वो, आज उसे हम अपनी निगरानी में रखेंगे और ऑपरेशन कल करेंगे।"
"जी डॉक्टर "
"कल तक का time है अब मुझे कहीं से भी कल तक ऑपरेशन के रुपए जोड़ने होंगे। कहां से लाऊं में रुपए। डायरेक्टर सर!!!!!!! हां, मुझे अनाथालय जाकर डायरेक्टर सर से बात करनी होगी।"
अनाथाश्रम घर से काफी दूर था पर मीरा रिक्शा के पैसे बचाने के लिए पैदल चलकर जाती थी।
आज भी मीरा पैदल चलकर जा रही थी। गर्मी अपने चरम पर थी, इस चिलचिलाती गर्मी में सड़को पर सिर्फ तेज रफ्तार में दौड़ती गाड़ियां थीं।
मीरा ने देखा एक छोटा सा कुत्ते का बच्चा सड़क पार करना चाह रहा है।
ये क्या सामने से एक कार दौड़ती हुई उस कुत्ते के बच्चे की तरफ ही आ रही है। मीरा दौड़ के गई और उस बेजुबां को गोद में उठा लिया। गाड़ी सामने आकर रुक गई।
" अंधे हो, सड़क पर गाड़ी चला रहे हो या हवा में हवाईजहाज!!"
गाड़ी का दरवाज़ा खुला, एक लंबा चौड़ा आदमी काले कपड़े, काला चश्मा लगाए बाहर निकला। बॉडीगार्ड लग रहा था। कद काठी देखकर मीरा थोड़ा पीछे हट गई।
"ए लड़की, मरने का इतना ही शौक है तो किसी और की गाड़ी के आगे आकर मर।"
"मरने का मुझे शौक नहीं है पर लगता है तुम्हें किसी को मारने का जरूर शौक है। तुम्हें सड़क पर ये (गोद में लिया हुआ कुत्ते का बच्चा दिखाते हुए) दिखाई नहीं दिया।"
मीरा बॉडीगार्ड से बात करने में इतनी मशगूल थी उसे ये पता नहीं था कि गाड़ी में से किसी की नजरें उसे एकटक देखे जा रहीं हैं।
गाड़ी में से किसी ने उस बॉडीगार्ड को बुलाया और कुछ कहा, थोड़ी देर में जब बॉडीगार्ड आया तो
"Sorry मैम, आगे से नहीं होगा ऐसा। देखकर गाड़ी चलाऊंगा।" ये बोलकर बॉडीगार्ड वापस गाड़ी में बैठकर चला गया। थोड़ी दूर चलने के बाद उसने गाड़ी रोक दी।
मीरा ने गोद में से उसे उतारकर उसे पानी पिलाया और सड़क किनारे उसे बैठा दिया।
मीरा अभी भी उस नज़र से अंजान थी जो उस गाड़ी में से उसे देख रही थी।