मुझ से न मिलो तो अच्छा ही होगा,
गर मिल भी लोगे तो क्या अच्छा होगा।
दिल की तन्हाइयाँ और बढ़ जाएँगी,
तेरे होने से भी क्या सच्चा होगा।
नज़रें मिलेंगी तो यादें सताएँगी,
मगर दिल का बोझ और भारी होगा।
तुम हंस भी देगे तो दर्द उठ जाएगा,
ये जुदाई का ज़ख्म और गहरा होगा।