अनुभूति,अनुश्रुति,अनुकूल,अनुदान,अनुदार*
ईश्वर की अनुभूति पा, होते व्यक्ति महान।
आस्था औ विश्वास से, दृढ़-निश्चय की खान।।
अनुश्रुति के बल पर लिखे, अपने वेद-पुरान।
जीवन की संजीवनी,ऋषि मुनियों का ज्ञान।।
परिस्थितियाँ अनुकूल अब, प्रगतिशील का शोर।
भारत उन्नति कर रहा, निश्चित होगी भोर।।
सरकारी अनुदान पा, करें श्रेष्ठ व्यापार।
श्रमिकों को भी काम दें, उन्नति का आधार।।
मातृ-भूमि ऋण भूल कर, दिखते कुछ अनुदार।
निज स्वार्थों में उलझते, भारत पर हैं भार।।
मनोज कुमार शुक्ल 'मनोज'