ग़म-ए-मोहब्बत
ज़िंदगी में एक मोड़ ऐसा भी आता है,
जब दिल से ज़्यादा ज़ख्म उभर आता है।
हर उस शख़्स पर एतबार करके देखा हमने,
जिसने हमारी उम्मीदों का गला घोंटा है।
कभी सोचा ना था कि मोहब्बत इतनी बेदर्द होगी,
कि हर शाम इसकी यादों में गुज़र जाएगी।
जिन आँखों में हमने अपने कल के सपने देखे थे,
आज उन्हीं आँखों में आँसू भरे पाएँगे।
यकीन था कि वो कभी जुदा नहीं होंगे हमसे,
पर अफ़सोस, ये एक हसीन धोखा था।
उन्होंने वादा तो हमेशा साथ रहने का किया,
पर राहों में हमारी तन्हाई का साया छोड़ गए।
अब दिल को बहलाने के लिए कोई बहाना नहीं,
और न ही आँखों में अब कोई ख़्वाब रहा है।
जो कभी हमारी ज़िंदगी की रौशनी थी,
आज वो खुद ही अँधेरे की वजह बन गई है।