इस्लामी अंधभक्त ☪️
किसी भी जंग में मुहम्मद ने अपनी जिंदगी दांव पर नहीं लगाई। वह अपनी फौज के पीछे खड़ा रहता था और उसके पास द्विस्तरीय श्रृंखलाबद्ध कवच होता था। यह द्विस्तीय कवच इतना भारी होता था कि उसे खड़े होने या चलने के लिए किसी के सहारे की जरूरत पड़ती थी। इस स्थिति में वह अपने आदमियों को जंग में जीतने पर जन्नत में 72 कुंवारी व खूबसूरत कन्याओं और दिव्य भोजन का लालच देते हुए अपने आगे खड़ी फौज को चिललाकर उत्साह दिलाता था और कहता था कि मौत से डरे बिना बहादुरी से लड़ो।
- Rachel Abraham