*"किरदार ही बंदगी है.."*
शुकराना ज़िंदगी है ते मुस्कराना ज़िंदगी है।
हर पल नित हरि गुण गुनगुनाना ज़िंदगी है।
ज़िदादिली उन्ही में इस रब पे जो फ़िदा हैं।
इतबार इसपे हरक्षण रख पाना ज़िंदगी है।
सत्गुरुजी की सिखलाई में जो हुबहू उतरते।
जीवन के हर पहलू ही ढल पाना ज़िंदगी है।
ना देखें इस जहां में कौन क्या कर रहा है।
किरदार खुद के नेक कर पाना ज़िंदगी है।
दिल में सुकून वाले नित ही कमल खिलाना।
रूहान पाकीज़गी लबरेज़ बनाना ज़िंदगी है।
रीते मन में कस्तूरी से भरे तू चमन उगाना।
गुलज़ार इस जहां को कर पाना ज़िंदगी है।
दौलत शोहरत ताकत से न आंकें ज़िंदगी को।
अहसास में बस रब के घुल जाना ज़िंदगी है।
सांचे में मनमति के भूले से भी न ढलें कभी।
गुरमत भरे रंग में पेवस्त हो जाना ज़िंदगी है।
भक्ति में रूबरू महके किरदार ही बंदगी है।
इकमिक हो रब में ही मिल पाना ज़िंदगी है।