"अंदर का युद्ध" – Komal Mehta द्वारा 🌿
युद्ध शुरू होने से पहले
शंखनाद की आवाज़ आती है,
हर इंसान के भीतर भी एक युद्ध चलता है —
पर उस युद्ध का शंखनाद कोई सुन नहीं पाता।
अर्जुन द्वंद्व में था —
कैसे लड़े अपने ही अपनों से?
हर इंसान भी आज उसी कशमकश में है,
रोज़ लड़ता है खुद से…
अपने ही विचारों, भावनाओं और डर से।
ये वो युद्ध है,
जो बाहर शांत दिखता है,
मगर भीतर—अधूरा छोड़ देता है।
कुछ लड़ाइयाँ तलवार से नहीं,
बल्कि ख़ामोशी और आँसूओं से लड़ी जाती हैं…
और उस युद्ध का सच्चा विजेता वही होता है,
जो दूसरों को माफ़ करना सीख लेता है।