( पेट की आग)
भूखी सोती है विश्व की,
कई करोड़ आबादी,
कुछ रातों को भूखा सोते,
कुछ करते बर्बादी,
कोई जीभ का स्वाद लगाए,
कोई पेट की आग बूजाता है,
कोई एक वक्त भी खा ले,
उसका दिन बन जाता है,
कुछ को तो पकवान मिले,
कुछ को मिले ना सादी,
भूखी सोती है विश्व,
कई करोड़ आबादी।
सोचो तनिक तुम भी उनका,
जो भूखे पेट सोते हैं,
पेट में लगी आग के खातिर,
रात भर न सोते हैं,
कोई प्लेट आधी छोड़ दे,
किसी को रोटी मिले ना आधी,
भूखी सोती है विश्व की,
कई करोड़ आबादी,
कुछ रातों को बुखार सोते,
कुछ करते बर्बादी।
स्वयं का पेट पालने में,
सबको कितना मान है,
जो पेट दूसरों का पाले,
वही तो इंसान है,
खाना बर्बादी का मुख्य केंद्र,
पार्टियां, डिनर और शादी,
भूखी सोती है विश्व की,
कई करोड़ आबादी,
कुछ रातों को बुखा सोत,
कुछ करते बर्बादी।
कुपोषण वह है जो,
कम खाने से होता है,
उसको कुपोषण क्या मालूम,
जो पेट भर के सोता है,
विडंबना भरा संसार अजीब,
भूख से मरते पल-पल जीव,
सबको मिलकर लड़ना चाहिए,
ताकि कुपोषण से मिले आजादी,
भूखी सोती है विश्व की,
कई करोड़ आबादी,
कुछ रातों को भूखा सोते,
कुछ करते बर्बादी।।
- हरीश कुमार