📘 “फोकटिया” — जब रिश्ते बोझ बन जाएँ…
कभी आपने किसी को दिल से निभाया हो, बिना शर्त, बिना स्वार्थ… और बदले में सिर्फ चुप्पी, ताने या इस्तेमाल मिला हो?
अगर हाँ, तो “फोकटिया” आपकी अपनी कहानी है — जिसे लिखा है दिल से, धीरेन्द्र सिंह बिष्ट ने।
यह सिर्फ एक दोस्त की कहानी नहीं है। यह उस हर एकतरफा रिश्ते की दास्तान है, जहाँ आप बस देते हैं — समय, पैसा, भावनाएँ — और बदले में सिर्फ खालीपन मिलता है।
“मैंने माफ़ किया, मगर भुलाया नहीं — क्योंकि वो यादें अब मेरी ताकत हैं।
मैं किसी को गिराना नहीं चाहता, लेकिन खुद को अब और नीचे नहीं झुकाना चाहता।”
📖 “फोकटिया” सिर्फ पढ़ने की किताब नहीं है — यह एक आईना है, जो आपको आपके ही जीवन के उन किरदारों से मिलवाएगा जिन्हें आप अब तक नज़रअंदाज़ करते आ रहे थे।
यह कहानी आपको सिखाएगी:
🔹 कब ‘ना’ कहना ज़रूरी होता है
🔹 कब चुप रहना कमजोरी नहीं, समझदारी होती है
🔹 और कब किसी रिश्ते को छोड़ देना ही खुद से वफ़ा होती है
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