भीगी पलकों पे बसी है कुछ अधूरी यादें,
बारिश में भी तन्हा रह गई तेरी बातें।
प्यार में कहीं जागते रहे हम, साथिया,
पर तू कहीं ख्वाबों में खो गया, साथिया।
पहला था शायद जो राज़ दे गया,
चाहा तुझे इतना... फिर भी क्यों खो गया?
सपनों में सावन सा तेरा साथ मांगा था,
जो कभी ना मिला, पर हर जगह वो ही पाया था।
मैं तो तेरी ही बनी थी हर दुआ में,
पर गुम हो गया कोई जादू सा मुझ पे लगा था...
_Mohiniwrites