अरे पगली,क्यों रोती रहती है,तू तो आजाद है।तुझे कहां किसीको बताना है के तेरी कितनी चलती है,तू कितनी होशियार है, तुझे कितना ज्ञान है। जब तेरी समझदारी सिर्फ घर के रसोई में स्वीकृत है तो बाकी चिंता छोड़ इस पुरुष प्रजाति को अपने खोखले अहम में जीने के लिए ये कोशिशें करने दे। तू बस खुश रहा कर क्योंकि तुझे किसी घमंड को पालना नहीं पड़ता ।
- Sarika Sangani