कैसे मै समझाऊ खुद को,
कैसे यकीं दिलाऊ तुझको
तुम क्या जानो मेरे
अरमानो को
जबकि तुमको यकीं नहीं
इंसानो पर।
फिर भी बहुत बार पुकारा होगा
मैंने, तुमको
फिर भी तुम सुन न सकी मेरे
आवाज़ों को,
की
अब तुम ही ये बतलाओ हमको
की
कैसे यकीं दिलाऊ तुझको,
कैसे मै समझाऊ खुद को।