एक चुलबुली लड़की
एक चुलबुली लड़की जो हँसती है खुल के,
जैसे फूलों पे शबनम गिरती हो धुल के।
बातों में उसकी एक मीठी शरारत,
आँखों में छुपी एक प्यारी सी नज़ाकत।
हवा भी थम जाए जब वो मुस्कुराए,
महफ़िलों की रौशनी बन कर छा जाए।
मासूमियत भी है, शरारत भी साथ,
एक पल में लाए वह दिल के पास!
नखरों का उसके अलग ही है स्वैग,
दिल ले जाए जैसे कोई क्यूट सा टैग।
हर अदा उसकी एक बात कहलाए,
जो देखे, बस देखता ही रह जाए!
एक चुलबुली लड़की, शोख़ी की पहचान,
बातें उसकी जैसे मीठा अरमान।
हँस दे तो जादू सा छा जाए,
रूठे तो मौसम भी मना जाए।
ज़ुल्फ़ें उड़ें तो हवा भी शरमाए,
नज़रों में शरारत, जो दिल तक समाए।
चलती है तो लगता है कोई बहार,
हर अदा उसकी लगती है ख़ुमार।
नखरों में उसके है दुनिया का रंग,
शरारत में भी है इक मासूम सा ढंग।
जो देखे, बस देखता ही रह जाए,
दिल भी कहे—यही बस पास आए!