ये चाहत नहीं उल्फत है तुमसे
आदत नहीं इबादत है तुमसे
कैसे कहें हम तुमसे जांनां
हमें बेइंतहा मोहब्बत है तुमसे
तुम मान भी सम्मान भी
तुम ही मेरा अभिमान भी
हर नफ़स में बसता तू मेरे
है बसता तुझमें जान भी...
तु पाक का प्रतीक है
इल्लत मुझमें कतिक है
तू है मेरा और मुझ में भी
मुझमें तू शरीक है...