पुरुष हो तुम !
बहुत लंबी होती हैं
तुम्हारी नाक
उठ जाती हैं जरा सी बात में
कट जाती है जरा सी बात में
हम नारी हैं
हमारी नाक नहीं होती
हाँ ! हमारे चेहरे पर नाक जैसा कुछ होता हैं
जो प्रमाणित करता हैं
तन की पूर्णता को
परन्तु फिर भी
जिस समाज में
महत्व नहीं नारी की नाक का
उसी के व्यवहार चरित्र को जिम्मेदार माना
जाता हैं
पुरूष की नाक के
उठने कटने का
नाक न होते हुए भी
ठेकेदार हम ही हैं
पुरुष की नाक के