मोहब्बत दिल में रखकर,
हमें ख़ुद से दूर करते हो
हो बड़े मगरुर तुम,
ऐसा जहां में मशहूर करते हो
चाहते हो निगाहों में रखना
फिर निगाहों से ही,
हमें नामंजूर करते हो
आतिश दिल में लगाकर,
फासलें बा-दस्तू़र करते हो
हो बड़े मगरुर तुम,
ऐसा जहां में मशहूर करते हो
उल्फ़त-ए-इल्म दिल में सजाकर,
हमें आसनाई पर मजबूर करते हो
राब्त़ा है नहीं हमसे,
ऐसी रिवायतें जहां में मशहूर करते हो
सोहबत की ख्वाहिशें ओढ़कर,
नाफ़रमानी का गुरुर करते हो
हो बड़े मगरुर तुम,
ऐसा जहां में मशहूर करते हो
हमारे इश्क़ को तुम,
ऐसे नामंजूर करते हो।