कुछ प्रेम मिलने के लिए नहीं होते…
वे नहीं होते
साथ चलने के लिए।
वे वनवास काटते हुए
अनकहे और अनसुने रहने के लिए होते हैं।
वे एक दूसरे के पूरक होते हुए भी
अधूरे रहने के लिए होते हैं।
वे मात्र यही संतोष कर पाते हैं…
कि वे किसी के हृदय में हैं
कि वे किसी के मस्तिष्क में हैं
कि कोई उनकी सुधियाँ बुनता है
कि कोई उनके लिए अनायास मुस्कुराता है
या नम आँखें फेर लेता है।
कुछ प्रेम उत्सव नहीं मना पाते,
पर वे उपवास रखते हैं
………
और दो घूँट प्रेम उन्हें जीवित रखता है
प्रेम एक जुनून ...💞