रूठे हुए साथी को मनाया जा सकता है...छोड़कर जा चुके साथी को भी रो-धो कर वापस बुला सकते हैं....मगर जिसने साथ छोड़ने की जिद बना रखी हो उसे आपके आँसू...आपके दर्द...आपकी तकलीफें...आपका प्यार...आपका समर्पण...आपका पागलपन...आपकी याचना-अनुनय-विनय...आर्त पुकार...आपकी चीखें...आपकी यादें...आपकी बेबसी...आपकी पुकार...आपकी कोई भी कोशिश वापस नहीं बुला सकती ....!
इसलिए जाने वाले को दरवाजे तक छोड़ कर आओ और गले लगा कर अलविदा करो...रिश्तों में जबरदस्ती अच्छी बात नहीं होती ....