फ्रायड के मनोवैज्ञानिक बीजों को हिंदी की जमीन पर बो कर उगाई गईं फसल जब लहराई तो समस्त जन मानस के लेखक महान मनोवैज्ञानिक कथाकार जैनेंद्र कुमार का प्रणय घोष संपूर्ण साहित्य इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ। नारी इनके साहित्य में केंद्रीय पात्रों का पद लिए हुए है, जहाँ मृणाल, सुनीता, कट्टो, सुखदा ने इनके नारी पात्रों को आधुनिकता तथा विशिष्ट एवं सशक्त रूप से प्रदर्शित किया है। जैनेंद्र ने अपने कथानक में केवल मनोरंजन को नहीं अपितु अन्तर्मन की व्यथा तथा मनोवैज्ञानिक सत्य को उजागर करने का सफल प्रयास किया है। प्रेमचंद ने जैनेंद्र को "भारत का गोर्की" कहकर पुकारा है।
- Lalit Kishor Aka Shitiz