बढ़ती दरारों का क्या करें
डूबते किनारों का क्या करें
बाँध बनते नहीं
उफनती नदियों पर ढहती दीवारों का क्या करें....
क्या करें मरती ख्वाहिशों का
रेत होते वुजूद का क्या करें
कहां से लाएं हौसला गिरती मीनारों का क्या करें.
मद्धिम होती जा रही है आवाज धड़कनों की कंठ में घुटती जा रही पुकारों का क्या करें....
दस्ताने पहन लिए उसने हाथों में कोई निशां न रह जाए कहीं रेत से दरकते इन सहारों का क्या करें...