ऐसा क्या लिखूं
जिसे पढ़ कर
तुम्हें ये अहसास हो
कि...
बिछड़ कर भी
तुम मेरे कितने पास हो
न जाने
किस अंजान खता की
सज़ा देते हो दूर जाकर
भला क्या खुशी मिल रही है
मुझे इस तरह आजमाकर
चलो खुश हो अगर तुम तो
तुम्हारी खुशी को हम
सर आंखों लगाते हैं
तुम पर लिखी हर शायरी
आज दरिया में बहाते हैं...💞