इस आस में बैठे हैं सब ठीक हो जायेगा
पर होता नहीं हैं,
और हम टूट जाते हैं,
चीख कर रोने का दिल करता हैं,
पर हम रोते नहीं हैं,
बस अपने आँसू छुपाते हैं,
काश कोई समझ लेता हमें भी,
काश! कोई समझ लेता हमें भी,
यूँ छुप छुप कर घुटना ना पड़ता कभी भी।।
~आरुषि ठाकुर ✍️