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राज़दार
दर्द अश्कोंका नाता।
मेरे दिलसे गहरा है।
चोट तो यारों यहाँ।
नाजुक गुलोंसे ही होती है।
तेरी मेरी मुहब्बत को।
ऐ जाहील दुनिया क्या समजेगी।
तेरे मेरे प्यार का।
तो राजदार खुद-ब-खुद अब खुदा है।
अल्फाजों के आगाज पर।
गुमनाम हैं दिल का अफसाना।
फ़रियादी तेरे दर पे ऐ खुदा।
आया पाकीज़ा आफताब है।
गर्दिशोमें अर्श मैं अब।
क्युं धुंडु यहाँ-वहाँ।
बस अब मुझे ऐ परवरदिगार।
मेरे चांद की आस हैं।
आरजु ना कोई मेरी।
ना अश्फाक किसीका चाहता हूँ।
तोडकर कब्रका दामन देख।
मेरी रुह तुझसें मिलने आयी हैं।
©म.वि.
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