#kavyotsav2 / comedy
*मेरी शादी करवाओ....:*
कहानी ये मेरे जीवन की
कुछ अजबसी कुछ गजबसी ।
थोडा अँक्शन, थोडी ट्रेजडी,
थोडा मसाला, थोडी फँण्टसी ।।
बात जब जीवन की हो,
तो जीवन अकेले बिताया नही जाता ।
और यही तो दुःख है कि
मेरे लाईफ में किसी को इंटरेस्ट ही नही आता ।।
कोशिश तो बहुत करी मैने
पर कोई पट ना पाई ।
गर्लफ्रेंड बनाने के हर कोशिश में
मैने हमेंशा मिट्टी ही खाई ।।
एक लडकी थी काँलेज में
श्रुती उसका नाम था ।
दिखने में सुंदर, गहरी आँखे,
चंचल उसका स्वभाव था ।।
मैने उसे, उसने मुझे देखा,
हम दोनो कि आँखे चार हो गई ।
मैं बस उसके ख्वाब देखता रहा
वो किसी और के साथ फरार हो गई ।।
काँलेज छुटा, नौकरी लगी,
पर अकेलेपन का श्राप न छुटा था ।
पता हि न चल रहा कि क्यों
मेरा भाग्य मुझसे रुठा था ।।
पर एक दिन सुरज निकला,
सोयी किस्मत ने करवट ली ।
सीने में हलचल हुई,
जब उसने दिल पें दस्तक दी ।।
आँफिस में आयी एक नयी लडकी
नयना उसका नाम था ।
हर रोज मुझे देख कर मुस्कुराती,
न जाने मुझ में क्या चार्म था ।।
उसकी मुस्कान का जवाब
मैं हसकें देता था ।
कहना था उससे कुछ
पर बात ही ना कर पाता था ।।
ये भी भ्रम तुटा,
कुछ दिनों के बाद ।
जब समझ आयी मुझे
उसकी एक बात ।।
आँखे उसकी पहलेही
पिछेवाले शर्माजी से लडी थी ।
और उनके लव्हरेज के बीच
मेरी कुर्सी आ पडी थी ।।
फिर सोचा लव्ह मँरेज नही,
मेरीवाली अरेंज मँरेज से आयेगी ।
वही मेरे छोटे से घर को
खुशीयों से सजायेगी ।।
मँरेज ब्युरो में नाम लिखाया,
माँ ने रिश्तेदारों से बात छेडी ।
भैय्या आँनलाईन देख रहे,
पर कही सें रिश्ते की बात ना आई ।।
घर में खुशीयों के मेले लगे,
दूर के फुफाजी जब रिश्ता लाये ।
दिवाली तो थी नही,
फिर भी माँ ने घर में दिये जलाये ।।
लडकी देखने गया,
किस्मत यहाँ भी काम ना आई ।
सैलरी, गाडी, बंगला
उसके बडे बडे ख्वाहिशों कि लिस्ट सामने आई ।।
अब मेरा रिजेक्ट होना,
तो जाहिर था ।
वैसे भी इस हूनर में
मैं बडा माहिर था l
सर पें बाँधे सेहरा,
राह तकु हमसफर कि ।
कर ले मुझे खुद में समाँ,
प्यारी सी उस नजर की ।।