सोच
हम निरंक निरंतर किसीपर भी विश्वास करते है। किसी व्यक्ती या व्यक्तित्व को श्रद्धा का स्थान देते है। हम न नास्तिक होते हैे,न अस्तिक होते है। बस अपनी मुल कृतीपर मनपुर्वक कार्य करते रहते है। तो केवल वास्तविकता को मानते हेै| जो अच्छा लगे उसे ग्रहण करते है।जो बुरा लगे उसको छोड देते है ।फिर चाहे वो विचार हो,कर्म हो, मनुष्य हो या धर्म हो। कोई अपना हो या पराया हो। सच हो या झूठ हो |समझ या नादानी हो ।
हम अपनी खुद की पहचान अहम जानते है। सही राहपर चलकर भी अगर कोई तुम्हें गलत साबीत करने की कोशिश करे ।और खुद को बुलंदीपर रखता है।वो सोच वही अंदाज उसका है। कोईभी अपना मुलस्वभाव छोडता नही। करेला कडवा और गुड मीठा होता है। तुम अपनी सोच मत बदलो। बस किसी का अच्छा न कर सको तो किसी का बुरा भी मत करो। जैसा हम करते है। वैसा भरना पडता है। तकदीर का तमाचा देर से ही बैठता है। मगर सही समय हर बात की असरदार दवाई है।
©मवि