सुरत चाहे भली हो या बुरी |
आईना दिखाता वही जो साफ है |
सच हो चाहे झूठ हो |
ना होता कुछ नजरअंदाज है |
बोलो किसने की बेवफाई |
सुनो हमारी वफाई यहां गुनहगार है |
दुनियावालों खुद अपना दामन देखो |
आजकल हमारी सादगीही हमसे नाराज है |
तकलिफोंसे लडना फ़ितरत है मेरी |
अच्छे बुरे की हमें नीजी पहचान है |
तुम चाल अपनी चलाते चलो |
लडना उनसे हमारी तकदीर है |
अब आदतसी बन गयी एैसे जीनेकी |
लाश है फिर भी तेरी दुनियामें जिंदा है |
© म. वि.