#kavyotsav2 /emotions
*कलम:*
दिखने में है छोटीसी,
पर बहूत बडी तोप है ।
साथ रहती है हमेशा ही,
ये कलम मेरी दोस्त है ।।
माना कि है बेजुबाँ,
फिर भी वो बोलती है ।
पैर भी तो है नही,
फिर भी वो चलती है ।।
जब बोलती है मीठे बोल,
शहद भी बराबरी न कर पाती ।
जब चलती, तो ऐसे चलती,
समशेर भी फिकी पड जाती ।।
शब्दो से खेलना,
भले ही मुझे आता है ।
पर कागज पर उनको जखडना,
कोई और न कर पाता है ।।
कभी लिखती कविता ये,
कभी कभी प्रेमकहानी ।
कभी किसी अपने को खत,
और कभी बस बहता पानी ।।
हमेंशा बस चलना हि आता,
रुकना उसने सिखा हि नही ।
दुनिया छोड जाये मुझे,
पर बेईमानी उसके स्याही में नही ।।
मेरे इस दोस्त कि
कैसे पैसों में किमत होगी ।
उसके प्रतिभा कि पहचान,
किसी कलमवाले को ही होगी ।।