ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की तृतीया,
इस अवसर पे आई खुशियां,
जैवंताबाई को जायो आवे,
उदयसिंह मूछे ताव चढावे।
धरती मेवाडी धन धन होवे,
शेर जैसो म्हारो राणो होवे,
चेतक जिसको प्यारो होवे,
राजा ऐसो म्हारो राणो होवे।
मुघलो जिससे थरथर कांपे,
कोई ना इसके आडे आवे,
भालो,तलवार ऐसो चलावे,
एक वार मे दुश्मन मार गिरावे।
महाराणो कभी सर न झुक्यो,
बार बार एकबर से जीत्यो,
किसीसे कभी हार न मान्यो,
ऐसो प्रतापी एतिहास रच्यो॥
-ध्रुवकुमार राणा