उड़ने को तैयार हो तुम,
इन पंखों को फैलाओ ना।
ऊंचाइयों से डरना क्या,
तुम तो बस उड़ जाओ ना।
ख्वाबों की स्याही को,
इन पन्नों (असमान) पर सजाओ ना।
खुबसूरत है शब्द तुम्हारे,
तुम बस कहती जाओ ना।
आसमान की चादर में,
तुम पंखों को फैलाओ ना।
उड़ने को तैयार हो तुम,
तुम बस उड़ती जाओ ना।
तुम बस उड़ती जाओ ना।।
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-varsha singh✍