English Quote in Thought by ArUu

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मैंने जब देखा उसे पहली दफ़ा,
मुझे लगी
वो साधारण-सी एक स्त्री
अगली मर्तबा जब मिली,
उसके हाथों में थी कुल्हाड़ी
अन्याय की जड़ों पर
निर्भीक वार करती हुई।

फिर एक दिन देखा,
उसको करछी लिए
पर वो सिर्फ़ स्वादिष्ट भोजन नहीं पकाती
उसके मसालों में परंपरा थी, और
उसकी आँच पर अपने फैसलों की आज़ादी ।
कभी वो चूल्हे के पास खड़ी
पूरी दुनिया को संभाल रही होती,
तो कभी उसी धुएँ से
अपने सपनों की लकीरें खींचती।

कई बार जब देखा,
कभी सुई–धागा थामे,
बिखरे रिश्तों को फिर से
सीती हुई
कभी मशाल संग,
अंधकार से टकराती
कभी झाड़ू उठाए,
आंगन नहीं, सदियों की
उपेक्षा साफ़ करती हुई
उसके चेहरे पर था साहस,
आँखों में करुणा और जाग्रत चेतना

उसका दिमाग़
रसोई, रिश्तों और डर की सीमाओं में
क़ैद नहीं था;
वहाँ सवाल थे,तर्क थे,और सच से
नज़र मिलाने का पूरा हौसला भी था।

आख़िरी बार जब देखा,
उसके हाथों में थमी थी कलम
किसी और की कहानी लिखने नहीं,
अपना भविष्य खुद रचने के लिए।
उसका जेहन चार दीवारों तक
सीमित नहीं था, वहाँ पूरी कायनात थी
और वह
उसके केंद्र में खड़ी मुस्कुरा रही थी।
ArUu ✍️

English Thought by ArUu : 112010854
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