आसमान नए नजारे ढूंढने निकला है।
बिच समंदर में किनारे ढूंढने को निकला है।
जिस बंजर जमी पे एक सूखा पत्ता नहीं बचा,
उस जमी पे नई बहारे ढूंढे निकला है।
कल तक थी लगी रोनके जिन चोबारों पे,
आज देखो बो चोराहे बने दिखते है।
कोई समझाओ इस बाबरे आसमान को,
ये शहर की पक्की सड़कों पर पुराने गलियारे ढूंढ़ने निकला है।
- khwahishh