(1) भ्रष्ट सुप्रीम कोर्ट जजो द्वारा खनन माफिया को अरावली में प्रवेश करने की जो अनुमति दी गयी है, उसके परिणामस्वरूप अगले 50 वर्षों में अरावली के इस पार स्थित राजस्थान के दर्जन भर जिले - भीलवाड़ा, अजमेर, ब्यावर, चित्तौड़, जयपुर, अलवर, कोटा, बूंदी, दौसा आदि रेगिस्तान होना शुरू हो जायेंगे, और अगले 100 वर्षों में रेगिस्तान दिल्ली, मध्यप्रदेश, बिहार एवं उत्तरप्रदेश आदि राज्यों को पूरी तरह अपनी चपेट में ले लेगा !!
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(2) इसमें कोई अतिशियोक्ति नहीं है, यह भौगोलिक एवं पारिस्थितिकी तंत्र की सच्चाई है !! पूरा उत्तर भारत रेगिस्तान नहीं है, तो इसकी एक मात्र वजह अरावली है। इस बात को समझने के लिए विशेषज्ञ होने की जरूरत नहीं है, जिस भी व्यक्ति ने कक्षा 12 की पाठ्यपुस्तकों में राजस्थान का भूगोल पढ़ा है, या अरावली के इस पार के जिलों से उस पार के जिलों में गया है, या कम से कम अजमेर से कभी पुष्कर भी गया है, तो वह इस बात को समझ सकता है।
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(3) पर्यावरण को तबाह करने वाले ऐसे फैसले निरंतर किए जा रहे है, और आगे भी किए जाते रहेंगे। क्योंकि इसके पीछे पैसा है। अकूत पैसा। माइनिंग माफिया जो पैसा लूटता है, उसमें से एक हिस्सा प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और जजों को देता है। और पर्यावरण मंत्री नाम की चिड़िया को तो वे चिल्लर के भाव भी नहीं गिनते। क्योंकि पर्यावरण मंत्री की नौकरी पीएम की कृपा पर रहती है।
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(4) स्थायी समाधान सिर्फ यह है कि, पर्यावरण मंत्री को वोट वापसी पासबुक के दायरे में लाया जाये। इससे पर्यावरण मंत्री की छोटी पीएम एवं खनन माफिया के हाथ से निकल कर नागरिकों के हाथ में आ जाएगी। और तब, सिर्फ तब ही पर्यावरण को तबाह करने वाले ऐसे फैसलों को रोका जा सकता है।
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(5) बड़ी समस्या यह है कि भारत में पर्यावरण वादी जितने भी लीडर-फ़्री लोडर (जग्गी वासुदेव, प्रशांत त्रिपाठी, वन्दना शिवा आदि) है, उन सभी को अपना धंधा चलाने और ख्याति लाभ के लिए यू ट्यूब, फेसबुक, ट्विटर और पेड मीडिया का समर्थन चाहिए और सोशल मीडिया और पेड मीडिया को माइनिंग माफिया स्पॉन्सर करता है। इसलिए ये फ़्री लोडर्स पर्यावरण मंत्री को वोट वापसी के दायरे में लाने की माँग का विरोध करते है, और अपने कार्यकर्ताओं को अराजनैतिक बनाए रखने के भाषण-प्रवचन देकर उन्हें उलझाए रखते है।
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(6) मेरा सुझाव है कि जो कार्यकर्ता पर्यावरण बचाना चाहते है, उन्हें पर्यावरण मंत्री को वोट वापसी पासबुक के दायरे में लाने के कानून की मांग खड़ी करने के लिए काम करना चाहिए। यदि एक बार पर्यावरण मंत्री वोट वापसी पासबुक के दायरे में आ जाता है तो अरावली भी बचेगी, आरे के जंगल भी बचेंगे, गंगा-यमुना भी बचेगी, और उत्तराखंड भी बचेगा। वरना एक एक करके सब कुछ उजड़ेगा। ये लोग पूरा का पूरा पारिस्थितिक तंत्र तबाह कर देंगे। जल, जंगल, जमीन सब कुछ। अभी अरावली निशाने पर है, कल सतपुड़ा और नीलगिरी।
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मैं आज जद पे हूँ तो खुशगुमान न हो,
चिराग सब के बुझेंगे हवा किसी की नहीं!!
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#जूरी_कोर्ट