तू गया तो लगा जैसे ज़िंदगी का रास्ता ही बदल गया,
मैं वही खड़ा रह गया… और तू किसी और दिशा में निकल गया।
तेरी यादें आज भी सीने में ठंडी आग की तरह जलती हैं,
हँसता हूँ मैं, मगर अंदर की खामोशी चीख़ कर पलटती है।
जिस मोहब्बत को पूजा था, उसी ने मुझे रुला दिया,
जिस हाथ को थामा था, उसी ने मुझे ठुकरा दिया।
तुम कहते थे — ‘कभी छोड़कर नहीं जाऊँगा’,
और आज उसी झूठ ने मेरे दिल का वजूद मिटा दिया।
रातें अब भी तुझसे बातें करने की आदी हैं,
पर सुबहें तन्हाई की चाय और टूटे भरोसे से भरी हैं।
किसे बताऊँ कि मुस्कुराहट के पीछे कितना दर्द है,
किसे बताऊँ कि मज़बूत दिखने वाला दिल कितना ज़ख़्मी और कमज़ोर है।
तू बदल गया या हालात, ये आज तक समझ नहीं पाया,
पर इतना ज़रूर जाना — टूटने के बाद कोई पहले जैसा नहीं हो पाता।
तू चला गया… मगर तेरे जाने के बाद की चुप्पी
मेरी हर धड़कन में हथौड़े की तरह गूँजता है।
तू बस एक इंसान नहीं था,
मेरे सपनों की नींव था, मेरी साँसों का सिरा था,
और आज वो नींव टूट चुकी है…
मेरे अंदर की दुनिया बिखर चुकी है…
और मैं?
मैं बस एक खामोश कहानी बन चुका हूँ—
जिसका अंत कोई नहीं पढ़ना चाहता।"
- kajal jha