जिस दिन तू गया था, उस दिन ज़िदगी थम-सी गई,
आँखों में जो आग थी… वो राख बनकर हम-सी गई।
तेरे बिना हर रास्ता अधूरा, हर धड़कन बोझ लगी,
तू जुदा क्या हुआ… मेरे अंदर की रोशनी भी खो-सी गई।
अब न शिकायत है तुझसे, न कोई दुआ बाकी,
बस एक ख़ालीपन है, एक थकान-सी रह गई।
तू चला भी गया और साथ ले गया क्या-क्या…
ये दिल आज तक तेरी छोड़ी हुई तन्हाई गिन रहा है।
- kajal jha