अन्नकूट
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मान्यता है कि जब भगवान कृष्ण ने
गोकुलवासियों को मूसलाधार बारिश से बचाने के लिए
अपनी कनिष्ठा ऊँगली पर गोवर्धन पर्वत उठाया
और गोप-गोपिकाओं में प्रसन्नता का भाव जगाया,
सातवे दिन उसे नीचे रखा,
और तभी गोवर्धन पूजा के बाद प्रतिवर्ष
अन्नकूट उत्सव मनाने का आदेश सुनाया,
तभी से अन्नकूट का उत्सव मनाया
और समय के साथ पीढ़ी दर पीढ़ी
इसका महत्व बताया
जो आज भी जारी है,
दीपोत्सव के साथ ही अन्नकूट की भी
जन-जन करने लगता तैयारी है,
योगेश्वर कृष्ण की महिमा न्यारी है।
सुधीर श्रीवास्तव