ये दर्द कि दर्द क्यों है..?
ये दर्द की आंखें नम क्यों है ...?
ये दर्द कि तू क्यों नहीं है..?
ये दर्द की ये दर्द तेरा ही दिया क्यों है.......///
ये दर्द तेरा ही दिया है अब उस आग में खुद को जला मैंने राख कर रखा है
ये दर्द कि दर्द क्यों है, ये दर्द कि तू क्यों नहीं है, तुम्हारे बिना हर साँस में कुछ कमी सी रहती है।
ये दर्द कि ये दर्द तेरा ही दिया है, हर एक धड़कन में तेरा ही साया घिरा दिया है।
तेरी यादों के उजाले में रातें भी सूनी पड़ती हैं, और तेरे नाम की हवा हर पल मेरे दिल को चुभ जाती है।
तू न सही तो क्या-तेरी याद से ही तो मैं हारा नहीं, तेरे होने की आस में फिर भी हर उम्मीद जिंदा रखता हूँ।