Hindi Quote in Poem by Shivam Kumar Pandey

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श्रीरामचरितमानस, भाग - 2
।। बालकाण्ड ।।


सीतारामगुणग्रामपुण्यारण्यविहारिणौ
वन्दे विशुद्धविज्ञानौ कवीश्वरकपीश्वरौ ॥




शब्दार्थ

सीता-राम – माता सीता और भगवान राम

गुण-ग्राम – गुणों का समूह, श्रेष्ठता का भंडार

पुण्य-अरण्य-विहारिणौ – पवित्र वन में विहार करने वाले (राम और सीता)

वन्दे – मैं वन्दना करता हूँ, प्रणाम करता हूँ

विशुद्ध-विज्ञानौ – शुद्ध ज्ञान और विवेक से युक्त

कवि-ईश्वरौ – कवियों के स्वामी (राम, जो सबका हृदय जानते हैं)

कपीश्वरौ – वानरों के स्वामी (राम और सीता, जिनके प्रति हनुमान और वानरसमूह समर्पित हैं)



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साधारण अर्थ

मैं माता सीता और भगवान राम को प्रणाम करता हूँ, जो अनंत गुणों के भंडार हैं, जिन्होंने पवित्र वन में विहार किया, जो शुद्ध ज्ञान और विवेक से परिपूर्ण हैं, और जो कवियों तथा वानरों के भी स्वामी हैं।


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उद्भवस्थितिसंहारकारिणीं क्लेशहारिणीम् ।
सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोऽहं रामवल्लभाम् ॥



शब्दार्थ

उद्भव – उत्पत्ति

स्थिति – पालन, स्थिर रखना

संहार – संहार, विनाश

कारिणीम् – करने वाली

क्लेश-हारिणीम् – दुखों का नाश करने वाली

सर्वश्रेयस्करीं – सबका कल्याण करने वाली

सीताम् – माता सीता को

नतः अहम् – मैं नमन करता हूँ, प्रणाम करता हूँ

राम-वल्लभाम् – भगवान राम की प्रिय पत्नी



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साधारण अर्थ

मैं माता सीता को प्रणाम करता हूँ, जो सृष्टि की उत्पत्ति, पालन और संहार करने वाली शक्ति हैं, जो सभी क्लेशों का हरण करती हैं और सबका कल्याण करने वाली हैं। वे भगवान राम की परम प्रिय पत्नी हैं।

Hindi Poem by Shivam Kumar Pandey : 111996850
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