जीना है तो मरना सीखो
जीना सीखो जीना है तो
मारना सीखो तूफानों से
लड़ना सिखो।।
युवा उत्साह अहंकार से
डरना सीखो
हस्ती हद नहीं
हद हस्ती स्वय कि
निर्धारित करना सीखो।।
आशाओं का आकाश
आसमान से आगे
आशाओं कि उड़ान
भरना सीखो।।
उत्साह उद्देश्यों के पथ में
यदि आ जाए कोईं बाधा
अवरोध चुनौती चूर चूर कर
बाधा अवरोध
चुनौती में भी उद्देश्य
वरण करना सीखो।।
शत्रु घातो चालों में
उलझना नही निकालना
सीखो अंगार नव जवान तुम
युवा उत्साह उड़ान
उड़ना सीखो।।
शक्ति ज्वाला व्यर्थ ना
हो जाए घृणा द्वेष दंभ में
बदलना सिखो
बदल सकते हो
युग समय समाज
बदलेगा वर्तमान
दुनिया कैसे?
दुनियां बदलना सीखो ।।
मिटा दो अपनी हस्ती को
अगर तू मर्तवा चाहे ख़ाक से
गुलो गुलज़ार आधार
दुनियां के दर्द दुःख आंसू
विष पीना सीखो।।
हर प्राणी में आते तुम
एक बार हर प्राण में
जागते एक बार
आने जागने का
अंतर युवा प्रौढ़
वृद्ध काल
समझना सीखो।।
मिटा दो या मिट जाओ
दुनियां इतिहास पृष्ठों का
स्वर शब्द बनना सीखो।।
व्यर्थ नहीं लिखी जाती
पल प्रहारों कि भाग्य रेखाएं
पल प्रहार अमिट रेखाओं को
समझना सीखो।।
प्रेम ही जीवन का सत्यार्थ
प्रेम उत्कर्ष का उत्साह
ओज तेज मीत गीत संगीत
कर्म ज्ञान का
गीता पढ़ना सीखो।।
समय काल बदलता रहता
पल प्रहर चलता रहता
पल पल चलते
समय काल में
अपना काल
बदलना सीखो।।
काल गतिमान चलता और
निकलता जाता
समय काल का
भाग्य इतिहास
बदलना सीखो।।
चिंगारी ज्वाला काल कराल
विकट विकराल तुम
समय काल के लौह
पत्थर चट्टान नव जवान
तुम अपना काल समय
लिखना गढ़ना सिखो।।
साहस की धार तुम तूफां
बौछार तुम समय काल के
शत्र शास्त्र नव जवान
व्यर्थ ना जाए युवा ओज
उत्साह सार्थक और सतर्क
रहना सिखो।।
व्यर्थ बीत ना जाएं युवा उमंग
बन ना जाओ काल का
कचरा कबाड़
नए उत्सव उत्साह
पल प्रहर जीते जाओ
युग में युवा सदा
जीवित रहना सिखो।।
साँसों की गर्मी ज्वाला से
उद्देश्य पथ अग्नि पथ
बदल डालो
युवा उत्सव उत्साह में
युग बदलना सिखो।।
मिट्टी के माधव
मिट्टी में ना मिल जाओ
नव इतिहास रचो
बाज़ीगर जादूगर
बाज़ जांबाज बनना और
बनाना सिखो ।।
अवनी पर स्वर्ग सत्य
नव युग युवा तुम
इच्छा और परीक्षा कि
मधुशाला का हाला
नए काल कलेवर का
इतिहास भूगोल
मादकता मदिरा
बन जाना सिखो।।
प्रश्न नहीं कोई ऐसा खोज
सको न उत्तर तुम
नहीं कोई समस्या
पाओ नहीं निदान तुम
युग भाव भावना का
समय काल प्रतिज्ञा तुम
अपने कदमो की
दुनियां का
अभिमान बनना सिखो।।
युवा लहरों का समंदर
न बन पाये तेरी गहराई
जहाँ शांति स्वय को नही
स्वय युग में रहने
ना रहने का अर्थ वास्तव
युग को बतलाना सिखो।।
अवसर को उबलब्धि में
बदलना सीखो
नव जवान गिरना
और संभालना सीखो।।
युवा तुम उद्देश्यों के
चट्टान राई से पहाड़
उद्देश्य पथ को
अवसर पर मोड़ना सीखो।।
स्वय के रहने का
वर्तमान रच डालो
युग इतिहास पृष्ठों के
युग पथ के उज्ज्वल
उजियार युवा
तुम बनना सिखो।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उतर प्रदेश।।