एक संत के अहंकार और उसके
पत्तन की ऐसी मार्मिक मीमांसा
संसार के साहित्य में न मिलेगी।... पापनाशी के पत्तन का कारण
उसकी वासनालिप्सा न थी,
उसका अहंकार था।
यह अहंकार कितने गुप्त भाव से
उस पर अपना आसन जमाता है
कि प्रतीत होता है... पत्तन में दैवीय
इच्छा का भी भाग था।
- इशरत हिदायत ख़ान