।। प्रेम हैं श्याम सुंदर से ।।
सुंदर-सुंदर मौत बोल?
कैसी हो सकती हूं सुंदर?
लाजवाब से चेहरे वाला वो,
सुंदरता से भी सुंदर है।
हाथ में बांसुरी,
चूड़ियों में मयूर पंख,
पैरों में घुंघरू,
मुख पर चाँद जैसी चमक।
इतना सुंदर, भोला कौन हो सकता है?
मनमोहन से बढ़कर और कौन?
वो तो केवल मुख से नहीं,
दिल से सुंदर हैं।
उनके लिए बनते हैं सब भक्त,
जपते हैं राधे-श्याम हर वक्त।
प्रेम के स्वामी हैं वो,
और उनकी प्रेमरानी — श्री राधा।
करते हैं प्रेम, बाँटते हैं प्रेम सभी को,
इसीलिए तो वो हमारे ठाकुर राजा हैं।
उन्हें बयान करने के लिए
कुछ भी नहीं हूं मैं,
मेरे हृदय में जो प्रेम भरा हे उनके लिए
आज लिख रही हुं
काग़ज़ और क़लम की साहारे।
।। राधे राधे ।।