दोस्ती एक सब्जी नहीं जो बाजार मैं मिलती हैं ,
वो एक रिश्ता हैं जो हर एक इंसान के जीवन मैं होता हैं ।
दोस्ती शब्द का मतलब ये नहीं कि एक दोस्त बनाना!
बल्कि ये हे कि पूरे जीवन साथ देना,
हर बुरे और अच्छे बक्त में साथ खड़ा रहना ..
हर इंसान के एक या दो दोस्त होते हैं,
जो कि जीवन भर में उनके साथ रहते हैं।
दोस्ती कि भाव सिर्फ मनुष्य में नहीं,
पृथ्वी कि हर चिंजो में होती हैं ..
हर चीजों कि दोस्त होते हैं,
जैसे बृक्ष्य कि, तितली कि, फूलों कि, नदियों कि सारे कि..
दोस्ती ने भी प्रेम कि तरहा पवित्र कि ताज अपने माथे मैं पहने हैं,
प्रेम कि तरह दोस्ती में भी विश्वास होता हैं ..
दोस्ती सिर्फ उससे होती हैं जिसकी हृदय मैं प्रेम, निर्मलता, पवित्रता और विश्वास भोरा है ।
.... दोस्ती की शरीर ....
( ashrab M )