खुद को खुद ही ना समझ पा रहे है,,
कभी कभी खुद को अकेला पा रहे हैं।।
सोते हैं कम जागते हैं ज्यादा,,
जिन्दगी में हैं अनेकों समस्या।।
ये क्यों किया ये क्यों नहीं किया,,
बस इन्हीं सवालों में दिन गुजार दिया।।
जिन्दगी का ये सफर,,
करता जा रहा हैं हमे खुद से बेखबर।।
सपनो को हकीकत ना बना सकेंगे,
शायद अब अपने लिए ना जी सकेंगे ।।