है बचपन बचा कहाँ
लेकर जाऊँ??
तु चाहता है कि मैं बड़ी हो जाऊँ??
बचपन में बचपन दबाया गया जो
बड़े होके आजाद होने को हैं जो
तु चाहता है कि फिर से कैद कर आऊँ?
बचा जो है बचपन कहाँ लेकर जाऊँ??
समझ सब ही चाहें समझ की घड़ी है
मासूमियत भला किसको पड़ी है
है जीवन यही क्या नीरस बिताये,,
बचा जो है बचपन कहाँ छोड़ आयें??
- Ruchi Dixit