धुंधली सी यादें ही रह गई है अब
दिल के कोने में कहीं,
की अब भी हम याद उसे ही करते है ,
कि जानें कब ढलता है दिन अब हमको एहसास नहीं है
जाने क्यों खैरियत उसी की मांगे बस रब से मेरी फरियाद यही है ,
की भूलना चाहे भी उसे सदा के लिए ही सही ,
पर दर्दे दिल उसकी ही याद दिलाता थकता नहीं है